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अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता दिवस पर विशेष-स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता, मजबूत लोकतंत्र हेतु सामूहिक जिम्मेदारी

 
अंतर्राष्ट्रीय स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता दिवस

बीना नयाल 

3 मई को अंतर्राष्ट्रीय  स्वतंत्र व निष्पक्ष पत्रकारिता दिवस मनाया जाएगा और इस संदर्भ में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर जागरूकता के लिए अनेक प्रयास किए जाएंगे । संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग के संयुक्त पहल से 1991 से हर वर्ष 3 मई को इस दिवस को मनाने की परंपरा है।

वास्तव में इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रों में स्वतंत्र व निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए उपयुक्त वातावरण निर्मित करने हेतु प्रोत्साहन देना है। जिस राष्ट्र में राज्य तंत्र द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्भीक विचारों के रूप में पत्रकारिता के विभिन्न माध्यमों को प्रोत्साहन दिया जाता है वहां लोकतंत्र की जड़े तो मजबूत होती ही है साथ ही मजबूत लोकतंत्र राजनीतिक सत्ता के स्थायित्व के साथ आर्थिक खुशहाली और जनता के उदार व खुले विचारों के रूप में समृद्ध मानसिकता और सामाजिक सद्भाव  भी लाता है।

पत्रकारिता की स्वतंत्रता व निष्पक्षता के लिए अनुकूल स्थितियों के संदर्भ में यदि भारत की स्थितियों का आकलन वैश्विक संदर्भ में करें तो हम पाएंगे जहां हम एक और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने के साथ मजबूत लोकतंत्र के संदर्भ में स्वयं को अमेरिका के समकक्ष होने का दावा प्रस्तुत करते हैं वहीं 2022 में अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा 180 देशों का विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी किया गया जिसमें भारत 142 वें स्थान पर है । यह भारत में स्वतंत्र और निर्भीक पत्रकारिता की दशा व दिशा दोनों ही स्थितियों को उजागर करती है। हैरानी की बात यह है सूची में दक्षिण एशिया के राष्ट्रो मे नेपाल ,श्रीलंका और भूटान हमसे बेहतर स्थिति में है और पाकिस्तान संयुक्त रूप से भाईचारा निभाते हुए समकक्ष स्थिति में है ।

1991 में अर्थव्यवस्था में उदारीकरण व निजीकरण के जिस दौर की शुरुआत हुई उसने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता जैसे गरिमामय और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र को भी इस दायरे में समेट लिया । इस क्षेत्र को व्यक्तिगत लाभ के उद्देश हेतु निजी संस्थाओं के हाथों का  खिलौना मात्र बना दिया है । लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता , निर्भीकता और निष्पक्षता जैसे मानदंड इनके लिए कोई महत्व नहीं रखते । व्यक्तिगत हित, पोषित विचारधारा और बाजारवादी सस्ती लोकप्रियता के उद्देश्य हेतु ये संस्थाएं उन परजीवी पादपों के समान है जो उसे पोषित करने व संरक्षण देने वाले राष्ट्र रूपी वृक्ष की जड़ों को ही खोखला कर रहे हैं ।

स्वतंत्र व निष्पक्ष पत्रकारिता का उत्तरदायित्व केवल सत्ता पक्ष या कुछ संस्थाओं का ही नहीं है वरन यह तो प्रत्येक नागरिक का मूलभूत उत्तरदायित्व भी है कि वह स्वयं में जानकारी के स्तर पर सतर्कता और जागरूकता लाए , अपने आस-पास हो रही घटनाओं के प्रति मानवीय  तथा संवेदनशीलता का परिचय देते हुए सत्यता को उजागर करने की हरसंभव निर्भीक कोशिश करें ।संगठन व संस्था के स्तर में जिस भी उत्तर दायित्व का निर्वहन करें वहां निष्पक्षतापूर्वक निर्णय लेने की  अभिवृत्ति और संस्कृति का निर्माण करें ।

जिस उजली तस्वीर को समाज रूपी आईने में देखना चाहते हैं पहले उसे स्वयं के भीतर साकार करें समाज व अन्य स्तरों पर वह खुद-ब-खुद दिखाई देगी।

भारतीय लोकतंत्र की नींव अत्यंत मजबूत है ।वर्तमान में पत्रकारिता के चौथे स्तंभ की मर्यादा के रूप में निष्ठा और निर्भीकता से कार्य करने वाले स्तंभ जिस शिद्दत से अमर्यादित , झूठी और एकपक्षीय  विचारधारा और गिरते हुए मानको रूपी पत्रकारिता की अमरबेल के साथ संघर्ष कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है । वास्तविक लेखक और पत्रकार वही है जो अपने लेखन और वक्तव्य रूपी तलवार से सत्ता और समाज को आईना दिखाने के साथ उसके आर पार जाने में समर्थ हो जाते हैं ।

देश को महज सूचना देने वाली पत्रकारिता की दरकार नहीं है वरन घटनाओं की वास्तविकता का विश्लेषण , अन्वेषण कर उसे निर्भीकता व जनता के सामने उजागर करने वाले लोक प्रहरीओ की आवश्यकता है। ऐसे लोक प्रहरी ही स्वतंत्र व निष्पक्ष पत्रकारिता के पर्याय माने जाएंगे बाकी तो व्यवस्था में उग आए खरपतवार की भांति है जो इसे दीमक की तरह चाट रहे हैं।

स्वतंत्र व निर्भीक पत्रकारिता के माध्यम से देश मे स्वस्थ विचारों को पोषित और लोकतंत्र को बुलंदियों पर ले जाने वाले सच्चे पत्रकारों और पत्रकारिता की संस्थाओं के संघर्ष और कार्यो को हृदय की गहराइयों से नमन।



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