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बाल दिवस के अवसर पर एक विशेष आलेख

     

Bal Diwas

       
🌹 बाल दिवस की बच्चों को ढेरों शुभकामनाएं🌹

                                          बच्चे मन के सच्चे

                

हेमा उनियाल............

सच है ,बच्चे मन के सच्चे होते हैं।राग, द्वेष, ईर्ष्या से कोसों दूर। धीरे- धीरे घर का वातावरण,पारिवारिक , सामाजिक स्थिति बच्चे के मनोभाव सहित बहुत कुछ उसके भविष्य का भी निर्धारण कर देती है।कुछ बच्चे  सही माहौल न मिलने पर भी  खरे सोने की तरह चमकते हुए  अपने भविष्य का सुखद निर्धारण कर लेते हैं और कुछ  व्यवस्था,स्थिति के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं,भटक जाते हैं।

घर की अच्छी परवरिश,संस्कारों के बाद भी कई बार बच्चा घर से अधिक बाहर से चीजों को सीखने लगता है। आगे जैसा माहौल मिलने लगता है,उसमें ढलने लगता है। कोई भी दंपत्ति, माता- पिता बनने के बाद सबसे पहले बच्चे के स्वास्थ्य,शिक्षा,भविष्य को लेकर ही सबसे अधिक सोचते हैं।उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। बच्चों के सुदृढ़ विकास को लेकर बाल दिवस के शुभ अवसर पर  कुछ बिंदुओं पर विचार अवश्य किया जा सकता है।

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(1) शुरुवात से ही घर से जैसी शिक्षा ,आचार- विचार बच्चा देखता जायेगा उसी अनुरूप बहुत कुछ वह ढलता जायेगा। अतः घर का माहौल बहुत शांतिप्रिय,सुखमय होना चाहिए। कम से कम 15 वर्ष तक तो बच्चे को अच्छे से शिक्षित करना माता- पिता की भी जिम्मेदारी है।आगे भी उनका मार्गदर्शन सदैव बच्चे का मार्ग प्रशस्त करता रहता है। आगे चलकर तो कई बातों का प्रभाव बच्चों के जीवन में पड़ता है तथा समाज से भी, अपने तरह से वह बहुत कुछ सीखने लगता है।

(2)बेहतर यही होता है कि बच्चों के द्वारा भी गलतियां शुरुआत से ही  कम से कम की जाएं ।दूसरों की गलतियों से ही कोई सबक लेले तो स्वयं गलतियां करने से बच जाता है ।इसलिए बुनियाद से ही यह धारणा पनपने लगे कि जो भी करना है,बहुत सोच- समझकर ही करना है। 

(3) स्वास्थ्य से बढ़कर और  कुछ नहीं इसलिए शुरू से ही  हर तरह की साग सब्जी, दालों, फलों,दूध - दही का बच्चों को उपभोग करना चाहिए।इससे  स्वास्थ्य आगे भी अच्छा बना रहता है।

(4) आजकल कुछ  माता- पिता शुरुआत से ही बच्चों के ज़िद करने पर अपने मोबाइल फोन बच्चों के हाथों में थमा देते हैं  जो एक बहुत गलत परम्परा है। इससे अच्छा है उन्हें  सुमधुर गीत,संगीत,कला,साहित्य, पेंटिंग आदि से आगे जोड़ा जाए।

(5)अपनी पढ़ाई के साथ ,खेलना-कूदना, शारीरिक व्यायाम,खुली हवा में घूमना ,अपने माता- पिता, गुरुओं आदि का सम्मान करना,सुंदर प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहना आदि ,यह प्रवृत्ति शुरू से ही बच्चों में जागृत करनी चाहिए  ।

(6) सुबह उठकर माता- पिता या जो भी बड़े जन घर में रहते हैं उन्हें अभिवादन करना। चाहे वह गुड मॉर्निंग हो, प्रणाम हो,किसी भी रूप में हो, करना चाहिए।सुबह उठकर बिना आपस में संवाद किए इधर,उधर  कमरों में घूमना एक अच्छा संकेत नहीं देता।

साथ ही किसी भी   ईश्वर ,सत्ता  को वह मानने हों,कुछ सेकेंड उनके आगे झुककर प्रणाम करना अच्छी आदत व परंपरा  है ।यह आदत जीवन भर इंसान को नम्र,हर किसी के प्रति संवेदनशील  बनाये रखती है।

(7) हर इंसान,जीव- जंतु,पेड़- पौधे, स्वच्छता, पर्यावरण के प्रति बच्चों को शुरू से ही जागरूक करना चाहिए।साथ ही स्कूली शिक्षा में यह बातें प्रमुखता से होनी चाहिए।

(8)यदि समय की पाबंदी नहीं है तो साथ में मिलकर भोजन करना अच्छा रहता है।अन्यथा किसी छुट्टी के दिन तो अवश्य ही करना चाहिए।

(9)सुबह उठने का और शाम को सोने का समय निर्धारित होना चाहिए।खाली समय पर अच्छे महापुरुषों की जीवनी , अच्छा साहित्य, संगीत,प्रदर्शनी,नाटक,पेंटिंग आदि देखने, सुनने से, नवीन तरह से बच्चों का विकास होने लगता है।

(10) आगे रोजगार की स्थिति को देखते हुए अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी हो गया  है किंतु अच्छी हिन्दी, संस्कृत, अपनी बोली- भाषाओं का ज्ञान भी अच्छे से हो जाए तो भविष्य सुनहरा हो जाता है।

(11) बच्चे स्कूल में अच्छे से पढ़ना जारी रखें।सभी सहपाठियों के साथ अच्छा बर्ताव रखें।कहीं भी उलझे नहीं।अपने सुंदर भविष्य को लेकर सजक रहें ।सभी का सम्मान करें।आदर्श जीवन जीने की पहल शुरुआत से ही हो जाए तो बहुत बेहतर।

(12)अपनी प्रतिभा का आंकलन स्वयं करते हुए,तथा अन्य लोगों से भी सलाह मशविरा करते हुए स्कूलिंग के बाद एक मार्ग पकड़ लेना अच्छा रहता है।उसी पर पूरी मेहनत से आगे बढ़ा जा सकता है।प्रतिभावान बच्चों के लिए आगे भी कई रास्ते खुले रहते हैं। 

(13)जिन बच्चों में पढ़ने की प्रतिभा कम होती है उनमें दूसरी कुछ प्रतिभायें स्वयं विकसित होती हैं। अतः किसी भी परिस्थिति में मन को छोटा न करें।

आपका जन्म स्वयं में सर्वश्रेष्ठ है ,यह मानें तथा जीवन पर्यंत यह धारणा बनाएं रखें।  उसी के अनुरूप अपने कार्य करें और जीवन को उद्देश्यपूर्ण ,सफल बनाएं।

अंत में, इच्छाओं से ज्यादा सुंदर ईश्वर की योजना होती है,जिसे उस शक्ति ने, हर किसी के लिए अलग - अलग गुणों के साथ निर्धारित किया है।जो जीवन मिला है उसमें उपस्थित उन साधनों के साथ   ' कर्मप्रधान' रहते हुए सदैव  खुश रहिए।

सभी बच्चों,छात्रों के सुखद भविष्य की कामना करते हुए मेरी ओर से उन्हें 'बाल दिवस' के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं।


                  

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