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पुरानी यादों को संजोती गांव की चिट्ठी

Ganv ki yadon ko sajoti

पुरानी यादों को संजोती गांव की चिट्ठी

लेखक-चंद्र सिंह रावत "स्वतंत्र"

प्रिय पुत्र खिमी चिरंजीवी रहो।

हम सब यहाँ पर राजी खुशी से हैं तुम्हारी कुशलता चाहते हैं। गांव में तुम्हारे बूबा/बूबू, भुला नरु, भूली हीरा सभी ठीक हैं बड़ों का तुमको खूब सारा आशीर्वाद तथा छोटों की तरफ से अपने ददा को नमस्कार। ख्वाल/बाखली और गों के सभी की तरफ से तुमको यथायोग्य सेवा और ढेर सारा प्यार।

पिछले महीने का लिखा तुम्हारा पत्र आज पच्चीस दिन बाद मिला। पाकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। तुम्हारा पत्र पढ़ाने के लिए मैँ तल्ला ख्वाल गया था वहां पर मनोरथ भाई के बेटे महेशा ने पढ़कर सुनाया। तुमने लिखा है कि अब कहीं और नौकरी कर रहे हो। अच्छे लोग हैं। खाना- पीना, रहना, लत्ते कपड़े सब देंगे। दुकान की नौकरी है करोल बाग में। राजस्थान के मारवाड़ी बनिया लोग हैं। किसी चीज की कोई कमी नहीं है। हम लोगों की बहुत याद आती है।

बेटा खिमी, हम सभी लोग गांव में ठीक से हैं। तुम्हारी बहुत याद आती है। तुम जहां भी काम करो मन लगाकर काम करना। अपने साब लोगों को कोई तकलीफ नहीं देना। उनका कहना मानना। दूर परदेश में अब वही तुम्हारे माँ बाप हैं। करोल बाग में भीड़ बहुत रहती है संभल कर रोड़ पार करना। चोरी नहीं करना। ईमानदारी से अपना काम करना।

बेटा, हो सके तो अगले महीने हमारे लिए पचास रुपे का मनीऑर्डर कर देना। जब तुमको दिल्ली भेजा था उस समय गांव के बूथा दा से तुम्हारे जाने के लिए कर्ज लिया था। अब तकाजा कर रहे हैं। आखिर उन्होंने समय पर हमारी मदद की है तो हमें भी समय पर ही लौटाना होगा। जब आज समय पर वापस करेंगे तभी भविष्य में और रुपया मांग सकेंगे। क्योंकि जरूरत वख्त – बेवख्त पड़ती रहती है। तुम पहले अपना देखना फिर इस बारे में सोचना।

बेटा, आजकल गांव में खूब सारे आम पके हैं। कंगला छाल के सभी पेड़ों पर आम लगे हैं। गांव के बच्चे पचोई गों के पेड़ से भी आम और फईम लाते हैं थैला भर भर कर। आजकल तिमला और बेडू भी खूब पक रहे हैं। गांव में सभी के बच्चे तिमला के लिए सिलकोट, सिमलचौरा, कमेटपानी, मसोड़  तक जा रहे हैं। गाड़ गधेरे भी खूब आ रहे हैं। कई बार तो बारिस की ऐसी झड़ी लग जा रही है कि घर के बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। किंतु छन्नी में जो गाय, भैंस, बैल, भेड़ – बकरियां बंधी हुई हैं उनके खातिर तो निकलना ही पड़ता है। गांव का जीवन ही ऐसा है। जितना हो सका बेटा हमने तुमको पढ़ाया, जब नहीं हिम्मत हुई तब तुम्हें पराए परदेश भेज दिया हृदय पर पत्थर रखकर। आखिर कौन चाहता है कि उनके कलेजे का टुकड़ा बिछुड़े।

इस साल खून मुँगरी, साग सब्जी हो रखी है। आजकल चिचिंडे, गोदड़ी, लौकी, जुमई, तीता – मिठा करेले खूब लगे हैं। मुंगरियों को चूल्हे पर पकाकर तथा केतली में उबाल कर खा रहे हैं। इन सब चीजों को खाते समय तुम्हारी याद आ जाती है बेटा। दिल्ली यदि नजदीक होता तो तुम्हारे लिए भेज देता। आजकल चौमास में कोई गांव आता भी नहीं है। सारी में धान के साथ ककड़ियां भी खूब हो रखी हैं आजकल। गांव के कंकर वाले नमक और लहसुन में पिसे हुए पहाड़ी नूण के साथ ककड़ी खाने का आनंद ही कुछ और है। इस साल जंगलों में कई प्रकार के च्यों भी खूब आ रहे हैं। जब जब हम साग-सब्जी, मुँगरी तथा ककड़ी खा रहे हैं तुम्हारा मासूम सा चेहरा यकायक कलेजे को आ जाता है। मजबूरी नहीं तो तुमको हम दिल्ली नहीं भेजते। चार पाँच दिनों बाद घी सक्रांत है। गांव में कुछ मवासों की सक्रांत नहीं है। उनको भी कल्यो, दूध, दही, घी देना है। थोरी को भी दूध देना पड़ता है। तुम्हारे छोटे भाई और बहिन को भी दिन में एक बार दूध देना है। बचे खुचे से तुम्हारे लिए भी घी बना रहे हैं। कुछ लोगों ने भी घी बनाने के लिए कहा है। आजकल पाँच रुपए सेर घी हो रखा है। तुम्हारे लिए चार सेर घी रख दिया है। तुम्हारे ब्वाडा/बोडी, कका/काकी, और मम गों के शंकर दा के लिए भी एक एक सेर घी बना रहे हैं।       

बेटा, इस साल बंदर कम आ रहे है। परंतु गांव के पूरे सरहद पर बंदर भगाने के लिए बारी लगा रखी है। खेतों में अनेक प्रकार की चिड़ियाएं भी आ रही हैं जो अनाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आज ही बंदर भगाने का घंटी लगा हुआ डंडा हमारे घर पर आ गया है। कल मेरी बारी है। सुबह सूरज आने से ही पहले चला जाऊंगा फिर दोपहर में खाने के लिए आऊँगा। कुछ देर सुस्ताने के बाद फिर चला जाऊंगा वापस सारी में। बरसात अच्छी होने के कारण इस बार अच्छी फसल हो रखी है। सेरों में खूब धान हो रखे हैं। उपराड़ी सारी में मंड़ुआ, झँगोरा, कौणी, ज्वार, रयांस, भट्ट, मांस, तोर सभी अच्छी हो रखी हैं। इस बार सारे अनाज के डवारे भर जाएंगे। सारी और जंगलों में इस बार अच्छी घास है। पशुओं के लिए घास की कोई कमी नहीं होगी।

बेटा, यदि हो सके तो धान मंडाई और घास काटने के लिए पंद्रह दिन घर आ जाओ। महीना भर पहले ही भैंस भी ब्याई है। कुछ दिन भैंस का दूध भी पी लोगे। हमारे साथ भी रह लोगे और तुम्हारे आने से हमें खेती में बहुत सहारा भी मिल जाएगा।

बेटा, सर्दियों में किसी दूर के गांव में मकान बनाने के लिए मुझे दार/बांसे चिरान का एक ठेका मिला है। वहां से भी कुछ आमदनी हो जाएगी तो फिर अगले साल जाड़ों में तुम्हारा ब्याह कर देंगे। हमने पास के ही गांव में एक लड़की देखी है तुम्हारे लिए। लड़की ने पिछले साल ही आठवीं पास की है। बात लगभग पक्की है। खूब सारी जमीन है उनके पास। पिताजी जंगलात में पतरौल हैं उसके। तुम्हारी ईजा को भी काम करने में मदद हो जाएगी।

बेटा, परदेश में अपना ख्याल रखना। अपना भला बुरा खुद समझना। बीच बीच में अपने ब्वाडा/बोडी, कका/काकी के पास भी हो आया करना। घर आओगे तो हमारे लिए कुछ मत लाना। बेकार पैसों की बर्बादी मत करना। रामनगर से चने, मिसरी जरूर लाना। गांव के बच्चे भी स्वागत के लिए आते हैं उनके हाथ में तो कुछ देना पड़ेगा। वैसे बच्चों के लिए गुड़ भी चल जाएगा। संतरे वाली टॉफी का एक/दो  पैकेट जरूर लाना। अच्छे लगते हैं। हो सके तो छोटों के लिए एक झगुला और बुशर्ट ले आना। मैँ, भी थेगला लगा हुआ पायजामा पहन रहा हूं। एक मलेसिया का पायजामा मिले तो ले आना। भैंस के गले में बांधने के लिए एक घंटी और बैलों के गले में बांधने के लिए खांकर और कौडियाँ ले आना।        बाकी क्या लिखूं तुम खुद समझदार हो। कम लिखा है ज्यादा समझना।

तुम्हारा पिता

अमर सिंह

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