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उत्तराखंड साहित्य मंच दिल्ली के प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निवास पर भेंट कर सौंपा ज्ञापन


उत्तराखंड साहित्य मंच दिल्ली के प्रतिनिधि मंडल ने पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के निवास पर भेंट कर सौंपा ज्ञापन 

नई दिल्ली : उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली और तमाम  साहित्यकार पिछले कई वर्षों से गढ़वाली कुमाउनी और जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं सूचि में शामिल करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इस बावत वो सरकारों के प्रतिनिधियों को और देश के गृहमंत्री तक को ज्ञापन दे चुके हैं। 

21 जुलाई 2022 को उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच का प्रतिनिधि मण्डल एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत से उनके दिल्ली आवास पर मिला। प्रतिनधिमंडल ने आदरणीय रावत जी को गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच  दिल्ली के कार्यों का विवरण अर मांगपत्र था।  प्रतिनिधि मण्डल में सर्वश्री अनिल पन्त, दिनेश ध्यानी, दर्शन सिंह रावत, प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, भगवती प्रसाद जुयाल, उमेश चंद्र बंदूनी आदि साहित्यकार थे।  

उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी ने बताया कि सांसद श्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि मेरे संज्ञान में भी यह विषय है कि गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।  इस हेतु उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच को पूरा सहयोग देने और भाषा सम्बन्धी मांग को अंजाम तक पहुंचाने हेतु श्री रावत ने अपनी सहमति दी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी इस दिशा में उचित मंच से इस बात को रखने का प्रयास कर रहे हैं।  श्री रावत ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि आज हमारी नई पीढ़ी अपनी भाषा-साहित्य से दूर होती जा रही है।  हमें अपनी भाषा-सरोकारों को बचाये रखना होगा और यह सब तभी संभव है जब नई और पुरानी पीढ़ी मिलकर इस दिशा में पहल करेंगे।  

उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली आगामी समय में उत्तराखण्ड के सभी सांसदों को अपना मांगपत्र सौंपेगा जिसमे प्रमुखता से गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना प्रमुख होगा।  इस हेतु मंच ने निर्णायक पहल शुरू कर दी है जिसका आगाज विगत 2 और 3 अप्रैल, 2022 की दिल्ली गढ़वाल भवन में गढ़वाली-कुमाउनी- जौनसारी भाषाओं पर पहली बार अखिल भारतीय सम्मलेन  और भाषा मानकीकरण पर दो दिवसीय आयोजन से शुरू किया गया।  

उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली आने वाले समय में इस दिशा में कुछ और पहल कर सकता है जिससे गढ़वाली-कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिल सके।  इस दिशा में समाज और भाषा प्रेमियों को भी आगे आना होगा।

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