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उत्तराखंड में सख्त भू कानून की मांग को लेकर संघर्ष समिति ने दिल्ली में स्थानीय आयुक्त को सौंपा ज्ञापन

 


उत्तराखंड में सख्त भू कानून की मांग को लेकर संघर्ष समिति ने दिल्ली में स्थानीय आयुक्त को सौंपा ज्ञापन

नई दिल्ली: उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे बाहरी लोगों के अतिक्रमण से वहां के जल, जमीन जंगल और परिवेश को हो रहे नुकसान को देखते हुए प्रदेश में मजबूत भुकानून की मांग जोर पकड़ती जा रही है। इसी मुद्दे पर आज उत्तराखंड भू कानून संघर्ष समिति दिल्ली के एक प्रतिनिधि मंडल ने उत्तराखंड सरकार के दिल्ली स्थित स्थानिक आयुक्त कार्यालय में असिस्टेंट कमिश्नर श्री अजय मिश्रा जी से मिलकर उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के नाम ज्ञापन दिया ।

ज्ञापन में उत्तराखंड में सख्त भू कानून बनाए जाने के अलावा विभिन्न मांगों के निम्नलिखित बिंदुओं का उल्लेख किया गया है।  

1. हिमांचल की तर्ज पर कठोर भू-कानून बने तथा तुरन्त प्रभाव से लागू किया जाये।

2.गांवों के हक-हकूब और जमीन आदि को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रबन्ध किये जायें।

3. गावों में बंदर और सुअरों के भय से अपनी खेती से बिमुख हो रहे किसानों की परेशानी  को समझा जाये तथा उनकी परेशानी को दूर किया जायें।

4.रोजगार व शिक्षा स्वास्थ्य परिवहन व्यवस्था   से आम जनमानस व  ग्रामीणो का जीवनस्तर सुधरे।

 5.अब तक समिति द्वारा हस्ताक्षर अभियान मे 50  हजार समर्थन  हस्ताक्षर नए भू कानून लागू करवाने हेतु  देश विदेश से एकत्र कर लिए गए हैं।

6.उत्तराखंड आंदोलनकारियों को चिन्हित अतिशीघ्र किया जाए।

इस अवसर पर प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी को दुबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने जाने पर बधाई दी। प्रतिनिधि मंडल में अनिल पंत, जगत सिंह बिष्ट, मोहन जोशी, रजनी जोशी, रविंद्र चौहान, सरिता कैथठ,मन मोहन शाह शामिल थे।

क्या है वर्तमान भू कानून

उत्तराखंड सरकार ने सन 2018 में उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 में संशोधन का विधेयक पारित कर उसमें धारा 143A और धारा 154(2) जोड़कर पहाड़ों में औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को पूरी तरह से खत्म कर दिया जिसका फायदा बाहरी लोगों ने राज्य में उद्योगों में निवेश के नाम पर बेतहाशा जमीन खरीद डाली किंतु इन जमीनों पर उद्योग न लगाकर उसका अनैतिक इस्तेमाल करने लगे। इसी को लेकर प्रदेश के सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय लोग इसका पुरजोर विरोध कर एक सशक्त भू कानून की मांग कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार को सन 1972 में हिमाचल में बने भू कानून की तर्ज पर ही उत्तराखंड में कानून बनाना चाहिए।

यदि उत्तराखंड की मूल संस्कृति व सुंदरता को बनाए रखना है तो वहां एक शख्त भू कानून लाना बेहद जरूरी है। ऐसा करने से वहां न केवल पर्यटन बढ़ेगा बल्कि स्थानीय जनता को रोजगार भी उपलब्ध होगा। 



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