दिल्ली/एनसीआर : गाजियाबाद के इंदिरापुरम, शक्ति खंड स्थित शिव शक्ति मंदिर में उत्तराखण्डी लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली के तत्वाधान में उत्तराखण्डी भाषा कक्षाओं के दूसरे सत्र का भव्य आयोजन किया गया। "हमारी भाषा-हमरि पछ्यांण" के संदेश के साथ यह कार्यशाला उत्तराखण्ड की समृद्ध भाषाई व सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का एक अनुकरणीय प्रयास है।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें रूप सिंह रौथान, प्रीतम सिंह रावत, बीरेंद्र सिंह रावत, शैलेंद्र रावत, गिरीश रावत, विपिन भदोला, कविता रावत सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने सहभागिता की। तत्पश्चात माँ सरस्वती की वंदना के साथ कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ हुआ।
मुख्य अतिथि शैलेंद्र सिंह रावत जी ने बच्चों एवं उपस्थित जनसमूह को उत्तराखण्डी बोली, भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण की महत्ता से अवगत कराया। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि वे अपनी मातृभाषा को अपनाएं, उसका प्रयोग दैनिक जीवन में करें और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को पहचानें क्योंकि यही हमारी असली पहचान है।
कार्यशाला में बच्चों का आत्म-परिचय, अपने मूल निवास, पारिवारिक संबंधों और पारंपरिक नातों के माध्यम से गहरा संवाद स्थापित हुआ। इस अभ्यास से बच्चों को न केवल भाषा से जुड़ाव मिला, बल्कि अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
यह कार्यशाला 11 मई से आरंभ हुई है और प्रत्येक रविवार प्रातः 10 बजे से 12 बजे तक नियमित रूप से शिव शक्ति मन्दिर, शक्ति खंड 1 मे आयोजित की जा रही है। दूसरे सत्र में कुल छह नए बच्चों ने सहभागिता की, जो इस प्रयास की निरंतर बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है।
कार्यशाला के संरक्षक DPMI के डॉ. विनोद बछेती जी के मार्गदर्शन में यह मुहिम निरंतर नए आयाम स्थापित कर रही है और दिल्ली-NCR में उत्तराखण्डी भाषा और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने की दिशा में एक सशक्त मंच प्रदान कर रही है।
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