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15 जून को कैंची धाम में लगेगा भव्य मेला देश विदेश में होती है इसकी चर्चा जाने इसकी रोचक कथा

 कैंची धाम



नैनीताल : कैंचीधाम मे भव्य मेले का आयोजन होने जा रहा है। जिसके लिए सारी तैयारियां पूर्ण कर दी गई है। बाबा नीब करौरी आश्रम की स्थापना के बाद से ही कैंची में हर साल 15 जून को स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। समय बीतने के साथ साथ स्थापना दिवस के इस कार्यक्रम ने कैंची मेले का रूप ले लिया और साल दर साल यह भव्य होता गया। इस दिन देश विदेश से बाबा नीब करौरी के लाखों भक्त यहां पहुंचते हैं । मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। यही कारण है कि लोग उन्हें हनुमान का अवतार भी मानते हैं। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। 

स्थापना दिवस के खास मौके पर प्रतिदिन दस से पंद्रह हजार श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए कैंची धाम पहुंच रहे हैं। इस साल मंदिर ट्रस्ट द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रसाद वितरण के लिए कागज से बनी सामग्री का उपयोग किया जाएगा। दो लाख से अधिक लोगों को प्रसाद के रूप में मालपुआ एवं सब्जी उपलब्ध कराने के लिए 42 क्विंटल कागज की थैली और विशेष रूप से बनाए गए चार लाख गिलास मंदिर में पहुंच गए है।  प्रसाद बनाने का काम 12 जून से पूजा पाठ के साथ शुरू हो गया है, जो मेला समाप्त होने तक चलेगा। कैंची के ग्राम प्रधान और मंदिर ट्रस्ट से जुड़े पंकज निगल्टिया ने बताया कि इस बार दो लाख से अधिक लोगों के आने की संभावना है।

देश और विदेश के बाबा नीब करौरी के भक्तों के लिए कैंची धाम आस्था का केंद्र है। देशभर में बनाए गए अपने 11 धामों में कैंची को बाबा ने अपने विशेष लगाव के चलते मनसा सिद्धि यानी जो मांगा वो मिला का दर्जा दिया था। कैंची के अलावा नैनीताल जिले में भूमियाधार, काकड़ीघाट, हनुमानगढ़ और देश में वृंदावन, ऋषिकेश, लखनऊ, शिमला, फर्रुखाबाद में खिमासेपुर, दिल्ली समेत अन्य स्थानों में धाम हैं। कैंची धाम से बाबा का विशेष लगाव रहा।

बाबा नीब करौरी के देश विदेश में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।

कैंचीधाम स्थित मंदिर की स्थापना के पीछे एक रोचक कथा है। बताते हैं कि वर्ष 1942 में कैची निवासी पूर्णानंद तिवारी सवारी के अभाव में नैनीताल से गेठिया होते हुए पैदल ही कैंची की ओर लौट रहे थे। तभी रास्ते में उन्हें एक लंबा चौड़ा स्थुलकाय व्यक्ति कंबल लपेटे हुए नजर आया जिसे देख वे डर गए। लेकिन जब उस व्यक्ति ने तिवारी जी को उनके से पुकारा और इस समय उनके वहां पहुंचने का कारण बताया तो तिवारी जी का डर जाता रहा। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्वयं बाबा नीब करौरी महाराज थे। बाबा ने तिवारी जी को निडर होकर आगे जाने को कहा।  तिवारी जी बाबा से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने बाबा से पूछा कि अब कब उनके दर्शन होंगे तब बाबा ने उनसे कहा था 20 साल बाद और यह कहकर बाबा अंतर्ध्यान हो गए।

ठीक 20 साल बाद बाबा नीब करौरी महाराज तुलाराम साह और श्री सिद्धि मां के साथ रानीखेत से नैनीताल जा रहे थे। तभी बाबा कैंची में उतर गए, उन्होंने पुरानी यादें ताजा की और यह स्थान देखने की इच्छा जताई। जहां साधु प्रेमी बाबा और सोमवारी महाराज ने 24 मई 1962 को बाबा के पावन चरण इस भूमि में रखे। यहां वर्तमान में कैंची मंदिर स्थित है। तब बाबा ने कैंची धाम में उस समय घास और जंगल के बीच घिरे चबूतरे और हवन कुंड को ढकने को कहा। ये वहीं स्थान धाम है जहां सोमवारी महाराज ने वास किया था। वर्तमान में इसमें भगवान हनुमान का मंदिर है। इसी में सोमवारी महाराज की धूणी के अवशेष आज भी सुरक्षित है। कैंची धाम से जुड़े एमपी सिंह ने बताया कि 15 जून 1964 को मंदिर में हनुमान की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई तभी से 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप मे मनाया जाता है।

 

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