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गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने की संसद सत्र में उठाई मांग

नई दिल्ली : उत्तराखंड के लोगों की कई वर्षों से ये मांग है कि उनकी लोक भाषाओं को संविधान की 8 वीं सूचि में शामिल किया जाए। आज गढ़वाल लोकसभा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने संसद के प्रश्नकाल में गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने के लिए सदन के पटल पर अपनी मांग रखी और जोर देकर कहा कि उत्तराखंड की बोली गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी, को संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया जाए उन्होंने इस मौके पर कहा कि उत्तराखंड देवों की भूमि है और  यहां के लोग सरल, आस्थावादी एंव राष्ट्रवादी लोग है।  सदन के पटल पर श्री रावत ने कहा कि यहां कि रमणीकता एंव सौन्दर्यता किसी से छुपी नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में अनेकों तीर्थ स्थल व पर्यटन स्थल भी मौजूद है। रावत जी ने सदन पटल पर जोर देते हुए कहा कि जिस तरह यहां कुदरती सौंदर्यकरण विध्यमान है उसी तरह यहां की लोकभाषाएं गढ़वाली, कुमाऊनी जौनसारी भी बहुत ही मिठास लिए हुए व अपने विशाल शब्दकोष की वजह से लोकप्रिय है। उन्होंने सदन पटल पर बताया कि जिस प्रकार अन्य प्रदेशों की लोक भाषाओं जैसे पंजाबी, बंगाली, गुजराती, तेलुगू ,मलयालम आदि को संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया गया है, उसी प्रकार से उत्तराखंड की तीनो लोकभाषाओं को संविधान की आठवीं सूची में सम्मिलित किया जाए जिससे उत्तराखंड प्रदेश के लोग अपनी बोली भाषा को बोलने व पढ़ने में गौरान्वित महसूस करें।

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