दिल्ली पुलिस के शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा जी के सर्वोच्च बलिदान पर कोटि कोटि नमन
(अपनी 21 साल की पुलिस की नौकरी में 60 आतंकियों को मारने और 200 से भी अधिक को गिरफ्तार करने वाले दिल्ली पुलिस के शहीद मोहन चंद्र शर्मा मासीवाल जी को शत शत नमन )
आज का दिन दिल्ली पुलिस के इतिहास को शोभायमान करता है क्योंकि 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के जांबाज इन्स्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने अपना सर्वोच्च बलिदान दे कर अपनी वर्दी की मर्यादा को अमर रखने में अहम् भूमिका निभाई थी। उत्तराखण्ड मूल के मोहन चंद्र शर्मा की भूमिका और समकालीन बटाला एनकाउंटर का जिस प्रकार राजनीतीकरण हुवा वह देश की राजनीती का काला अध्याय कहा जायेगा।
दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में 13 सितंबर 2008 को सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. इस ब्लास्ट में 26 लोग मारे गए, जबकि 133 घायल हो गए थे. दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया है । इस ब्लास्ट के बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बाटला हाउस के एक मकान में मौजूद हैं, इसके बाद पुलिस टीम अलर्ट हो गई थी। एनबीटी के अनुसार 19 सितंबर 2008 की सुबह आठ बजे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की फोन कॉल स्पेशल सेल के लोधी कॉलोनी स्थित ऑफिस में मौजूद एसआई राहुल कुमार सिंह को मिली उन्होंने राहुल को बताया कि आतिफ एल-18 में रह रहा है उसे पकड़ने के लिए टीम लेकर वह बाटला हाउस पहुंच जाए । राहुल सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र विनोद गौतम आदि पुलिसकर्मियों को लेकर प्राइवेट गाड़ी में रवाना हो गए ।टीम के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा डेंगू से पीड़ित अपने बेटे को नर्सिंग होम में छोड़ कर बाटला हाउस के लिए रवाना हो गए. वह अब्बासी चौक के नजदीक अपनी टीम से मिले। सभी पुलिस वाले सिविल कपड़ों में थे। बताया जाता है कि उस वक्त पुलिस टीम को यह पूरी तरह नहीं पता था कि बाटला हाउस में बिल्डिंग नंबर एल-18 में फ्लैट नंबर 108 में सीरियल बम ब्लास्ट के जिम्मेदार आतंकवादी रह रहे थे। 11.05 बजे चार लड़कों का पता चला जो संदिग्ध आतंकवादी थे उनका नाम क्रमशः आतिफ, अमीन, साजिद, आरिज और शहजाद पप्पू सैफ था। दोनों तरफ पुलिस और आतंकवादियों के बीच अचानक तावड़तोड़ फायरिंग हुई और इंस्पेक्टर शर्मा को दो गोलियां लगी। इस फायरिंग से दो आतंकी आतिफ और साजिद की भी मौत हो गयी थी। होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज के दौरान इंस्पेक्टर शर्मा का निधन हो गया.
इसके बाद जो भी राजनीती इस शहीद पर नेताओं ने की वह देश को शर्मसार करने वाली तथा आतंकवादियों का हौसला बढ़ाने वाली थी। इस सर्वोच्च बलिदान के बाद जो भी अवार्ड या सुविधाएँ दी गयी उनकी शाहदत के सामने वह सांकेतिक माना जा सकता है। शहीद मोहन चंद्र शर्मा ने 21 साल की पुलिस की नौकरी में 60 आतंकियों को मार गिराया था, जबकि 200 से ज्यादा खतरनाक आतंकियों और अपराधियों को गिरफ्तार करके एक आदर्श मिशाल कायम की थी। इस शहीद को देश और दिल्ली पुलिस सदा याद करेगी।
योगी मदन मोहन ढौंडियाल
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