एक जनपद दो उत्पाद योजना से उत्तराखंड की हस्तकला को मिलेगी देश-दुनिया में पहचान /सरकार कराएगी बाजार उपलब्ध
उत्तराखंड राज्य बनाने के इतने सालों बाद भी वहां के हस्तशिल्पियों व बुनकरों को अपनी पहचान नहीं मिल पायी है जबकि उनके द्वारा तैयार उत्पादों की गुणवत्ता के आधार पर पर्यटक उन्हें काफी पसंद करते है। यही कारण है कि चार धाम यात्रा के दौरान इनकी आय भी अच्छी होती है। पर फिर भी इनके उत्पादों को बाजार नहीं मिल पाता है। उनकी इस दशा को सुधारने के लिए अब प्रदेश सरकार ने एक अहम् कदम उठाया है वो एक जनपद दो उत्पाद योजना के तहत हस्तशिल्प के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराएगी जिसे हस्तशिल्पियों व बुनकरों के भविष्य के लिए अहम माना जा रहा है।
आज जब प्रतिस्पर्धा का दौर है तो ऐसे में सरकार बुनकरों एवं हस्तशिल्पियों को नई तकनीक से युक्त करने के साथ ही बाजार की मांग के अनुसार उन्हें आकर्षक, प्रभावी व उच्च गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाने के लिए न केवल प्रेरित करेगी बल्कि परिशिक्षण भी देगी । हाल में पांच हस्तशिल्प उत्पादों को जीआइ टैग मिलने से इस मुहिम में तेजी आएगी। इसके साथ ही विभाग अब अन्य हस्तशिल्प उत्पादों की जीआइ टैगिंग के लिए प्रयास कर रहा है।
हालांकि राज्य गठन से पूर्व ही हस्तशिल्प के कुछ लघु उद्योग यहां स्थापित हैं। जिनमें लकड़ी के फर्नीचर, हस्तशिल्प, ऊनी शाल, कालीन, सजावटी कैंडल, रिंगाल के उत्पाद, ऐपण, लौह शिल्प आदि शामिल हैं। किंतु वैश्वीकरण व आर्थिक उदारीकरण के इस दौर में आयातित तथा मशीन से बने नई तकनीक व डिजाइन के उत्पाद कम कीमत पर बाजार में उपलब्ध होने से यहां के पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। इससे ये उद्योग बंदी के कगार पर आ गए।
अब जब प्रदेश में परिस्थितियां बदल रही है और जन सुविधाओं में लगातार वृद्धि होने से राज्य में पर्यटकों को ऑनलाइन मार्केटिंग और आवागमन की सुविधाएं विकसित होने से राष्ट्रिय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योंगों के उत्पादों की ओर लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है जिसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने माना है कि यहां इन पारंपरिक उद्योंगों को समुचित तकनिकी प्रशिक्षण, मार्किट की डिमांड के हिसाब से डिजाइन और कच्चे माल की उपलब्ध्ता कराकर फिर से स्थापित किया जायेगा जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर बनेगें।
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