उत्तराखंड की हर्षिल घाटी में फैली केसर की खुश्बू किसानों के चेहरे
ख़ुशी से हुए लाल
देहरादून: उत्तराखंड में सरकार पलायन को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और स्वरोजगार के लिए खेती में नए परिक्षण कर युवाओं को प्रोत्साहित कर रही है इसी कड़ी में उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में बनाई केसर उत्पादन की योजना सफल होती दिख रही है। इस योजना के तहत घाटी के पांच गांवों के किसानों को केसर के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए गए थे। जिन्हे किसानों ने अपने खेतों में बोया था अब इनमें से अधिकांश बीज अंकुरित हो गए हैं जिसे देखकर किसानों की उम्मीद जगी है।
बता दें कि सीमांत जनपद की हर्षिल घाटी राजमा और सेबों के उत्पादन के लिए जानी जाती है। केसर की खेती के लिए यहाँ की जलवायु व मिट्टी को उपयुक्त पाते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ने वर्ष 2018-19 में किसानों को केसर के बीज ट्रायल के तौर पर दिए थे। जिसके परिणाम सकारात्मक दिखे थे। यही कारण है कि जिला प्रशासन के उद्यान विभाग ने इस वर्ष इस योजना के अंतर्गत हर्षिल घाटी के पुराली, जसपुर, मुखबा,सुक्की और झाला गांवों के करीब 38 किसानों को केसर के बीज दिए गए थे। किसानों ने बताया कि हमारे द्वारा बीज बोने के एक डेढ़ महीने में ही इनके पौधों पर फूल खिलने शुरू हो गए है जिसे देखते हुए हमें नई उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है।
रजनीश सिंह मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी ने बताया कि अभी उत्पादन कुछ कम है लेकिन भविष्य में यह किसानों की आजीविका संवर्धन में सहायक सिद्ध होगा। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ डॉ. पंकज नौटियाल ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौड़ हर्षिल घाटी के तीन गांवों की पांच जगहों से सैंपल लेकर केसर की गुणवत्ता की जांच करेगा, इसके बाद लैब में केसर में मिलने वाले क्रोसिन, क्रोसेटिन व सेफ्रेनल तत्वों के आधार पर इसकी गुणवत्ता परखी जाएगी जिसमें कश्मीर के केसर का सैंपल भी रखा जाएगा और तुलनात्मक परीक्षण होगा ताकि किसानों को वाजिब दाम मिल सकें।
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