DEHRADUN : रविवार 12 जनवरी 2025 को टिहरी, उत्तरकाशी और देवभूमि उत्तराखंड के लगभग 700 गांवों में मनाये जाने वाले घैन्जा त्यौहार का टिहरी हाउस, राजपुर रोड, देहरादून में भव्य आयोजन किया गया। जिसमें टिहरी उत्तरकाशी के सैकड़ों लोगों ने प्रतिभाग किया। आयोजन कर्ताओं ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से अपनी लोक संस्कृति का परिचय आज की युवा पीढ़ी से कराना था। इस आयोजन में बतौर अतिथि के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉक्टर भान सिंह नेगी "भानू भाई" ने प्रतिभाग किया।
पौष मास की सक्रांति से पूर्व मनाये जाने वाला लोकपर्व घैन्जा प्रकृति की सेवा व रक्षा, उत्तम स्वास्थ्य और जीव कल्याण को समर्पित है। घैन्जा मोटे अनाज के आटे से बनाये जाते हैं जिन्हें नींबू, अमरुद, माल्टा, आम, लीची के सुगंधित पत्तों में लपेटकर और मसालों में पकाकर तैयार किया जाता है। इसे दही, मक्खन के साथ खाया जाता है। इसे खाने से ठंड के मौसम में शरीर स्वस्थ रहता है वहीं शरीर की इम्यूनिटी क्षमता विकसित होती है। इस भोज्य पदार्थ की रेसिपी टिहरी महाराजा रियासत द्वारा राज्य में वैध और योगी साधक लोगों के शोध से तैयार की गई थी। माना जाता है कि इसका सेवन किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले किया जाए तो उस कार्य में सफ़लता मिलती है।
इस अवसर पर डॉक्टर भान सिंह नेगी "भानू भाई "ने कहा कि इस लोकपर्व को प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज मनाते आए हैं और इसे हेल्थी डिश के रूप में खाया जाता है। इस पारंपरिक व्यंजन को खाने के लिए त्यौहार के रूप में विशेष दिवस मनाया जाता है एवं मानव समाज को बलिष्ट बनाने के लिए यह सबसे अच्छा पौष्टिक आहार है। लगातार समाज में इस त्यौहार को मनाने से पहाड़ के मिलेट्स को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही पहाड़ी अनाज को भी बढ़ावा मिलेगा, एवं उसका समर्थन मूल्य कास्तकारो एवं उत्पादकों, कृषकों को मिल पाएगा व पारंपरिक खेती करने वालों को व पर्वतीय किसानो में भी इसके प्रति रूझान बढ़ेगा जिससे उनकी आत्मनिर्भरता कायम हो पाएगी।
आयोजन में अन्य वक्ताओं श्री भवानी शाह जी, श्रीमती नीना नेगी, श्री मनोज नौटियाल, श्रीमती उमा देवी, श्री पुष्कर सिंह चौहान आदि ने कहा कि इसका प्रचार-प्रसार करें। इससे एक ओर जहां शारीरिक क्षमता बढ़ती है वहीं लोगों को बीमारी से मुक्ति दिलाने में भी महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि देवभूमि में कम खर्च में सुपाच्य भोजन के लाभ के लिए लोगों को स्थानीय कृषि के साधन उपलब्ध कराये जाएं। कानपुर विश्व विद्यालय के प्रोफेसर इंद्र मणि सेमवाल, ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से प्रदेश में रोजगार देने के लिए शानदार कार्य किया जा रहा है। हमारी संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ समाज स्वास्थ्य रक्षा के लिए बहुउपयोग में आने वाले खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने का अच्छा प्रयास है।
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