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हमारी भाषा, हमारी पहचान, आइए हम सब मिलकर अपनी भाषा-संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन लिए कार्य करें

 हमारी भाषा, हमारी पहचान, आइए हम सब मिलकर अपनी भाषा-संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन लिए कार्य करें



नई दिल्ली : उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली द्वारा प्रति वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में गढ़वाली-कुमाउनी,जौनसारी भाषाओं की कक्षाएं प्रत्येक रविवार सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक दिल्ली/एनसीआर और उत्तराखंड बहुल क्षेत्रों के 55 केंद्र पर संचालित की जाती हैं। यह कार्यशालाएं DPMI के निदेशक विनोद बछेती और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सानिध्य में आयोजित की जाती हैं। 

इस वर्ष कक्षाओं का सत्र 10 मई से प्रारंभ हो गया था जिसका 10 अगस्त 2025 को समापन होगा। 

रविवार 27 जुलाई को प्रमुख केंद्र डीपीएमआई, न्यू अशोक नगर दिल्ली में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी, उत्तराखण्ड सरकार में पूर्व दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री श्री धीरेंद्र प्रताप जी एवं श्री अनिल कुमार पंत जी की गरिमामई उपस्थिति रही। 

केंद्र प्रमुख दिगपाल सिंह कैंतुरा, हरीश असवाल, जितेंद्र बिष्ट, अध्यापिका श्रीमती सुशीला कंडारी जी, शशि जोशी जी ने मुख्य अतिथियों का अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत किया। 

इस अवसर पर श्री धीरेन्द्र प्रताप जी ने कहा कि अपने भविष्य को अपनी जड़ों से जोड़ने का जो कार्य विनोद बछेती जी और उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच कर रहे हैं वो हमारी भाषा-संस्कृति को बचाने में मील के पत्थर के सम्मान है। हमारी भाषा ही हमारी पहचान है, इसलिए हमें चाहिए कि हम अधिक से अधिक अपनी भाषा में वार्तालाप करें व इसके संरक्षण और सवर्धन के लिए कार्य करें।  

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