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इस बार रक्षाबंधन पर कब रहेगी भद्रा, कब रहेगा शुभ मुहूर्त और क्या बनने जा रहे हैं शुभ संयोग, जानिए पंडित अनिल पुरोहित जी से

इस बार रक्षाबंधन पर कब लगेगी भद्रा, कब रहेगा शुभ मूहर्त और क्या शुभ संयोग बनने वाले है, जाने पंडित अनिल पुरोहित जी से


रक्षाबंधन 2024: भद्रा काल, शुभ मुहूर्त और धार्मिक मान्यताएँ इस वर्ष रक्षाबंधन पर कई शुभ संयोग बनने वाले हैं।  इस बार रक्षाबंधन पर सौभाग्य योग, रवि योग, शोभन योग के संगम के साथ ही सिद्धि योग भी निर्मित हो रहा है सोमवार का दिन होने की वजह से यह संयोग अत्यंत शुभ है ।

यह पर्व सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस बार यह 19 अगस्त, 2024 को पड़ेगा। रक्षाबंधन के दौरान भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है क्योंकि इसके प्रभाव से पूजा और व्रत के समय में बाधाएँ आ सकती हैं। इस लेख में हम भद्रा काल, शुभ मुहूर्त और अन्य धार्मिक मान्यताओं पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं देश के जाने माने पंडित अनिल पुरोहित जी। 

भद्रा काल की जानकारी 

भद्रा काल एक ऐसा समय है जिसे हिंदू पंचांग के अनुसार अशुभ माना जाता है। भद्रा के समय में कोई भी शुभ कार्य करने की सलाह नहीं दी जाती है। इस वर्ष भद्रा काल 18 अगस्त, 2024 की रात 2:21 बजे से शुरू होगा और 19 अगस्त, 2024 को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। इस दौरान रक्षाबंधन जैसे धार्मिक और पारंपरिक कार्यों को करने से बचना चाहिए।

हालांकि, इस बार भद्रा पाताल लोक में रहेगी, इसलिए इसका प्रभाव धरती वासियों पर विशेष रूप से नहीं पड़ेगा। फिर भी, बेहतर होगा कि राखी बांधने का कार्य भद्रा काल समाप्त होने के बाद किया जाए।

रक्षाबंधन पर शुभ मुहूर्त

राखी बांधने का समय: रक्षाबंधन पर सबसे शुभ समय राखी बांधने के लिए दोपहर 1:43 बजे से शाम 4:20 बजे तक रहेगा। यह समय भद्रा काल के समाप्ति के बाद का है और इस दौरान सौभाग्य योग, रवि योग, शोभन योग और सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं।

प्रदोष काल: आप शाम के समय प्रदोष काल में भी राखी बांध सकती हैं। प्रदोष काल 6:56 बजे से रात 9:07 बजे तक रहेगा, जो कि धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ समय माना जाता है। रक्षा बन्धनं कृत्वा, प्रदोष कालयोजयेत् |

भद्रादिभिरिवर्णनीयं, धर्मपथं च वर्धयेत् ||अर्थ: रक्षाबंधन के दौरान प्रदोष काल में राखी बांधने से धर्म और सौभाग्य में वृद्धि होती है, भद्रा का प्रभाव कम होता है।

रक्षाबंधन की विधि और मंत्र

रक्षाबंधन की विधि:

1. रक्षासूत्र का चयन: रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए—लाल, पीला और सफेद। इन धागों को श्रद्धा पूर्वक एक साथ बांधना चाहिए। यदि रक्षासूत्र में चंदन लगा हो तो यह अधिक शुभ माना जाता है। यदि चंदन उपलब्ध न हो, तो कलावा भी उपयोग किया जा सकता है।

2. राखी बांधने का तरीका: राखी बांधते समय भाई या बहन का सिर खुला नहीं होना चाहिए। रक्षासूत्र बांधने के बाद माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लेना महत्वपूर्ण होता है।

मंत्र:

रक्षाबंधन के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जा सकता है ताकि भाई-बहन के रिश्ते में शुभता और सौहार्द बने रहे:

1. रक्षासूत्र मंत्र:

य: कश्यप: परशुर्धर: | परुषा: स्वप्न: सविच्छ: |

स: रक्षार्णवभू: साकं | रक्षाम तु सदा: सदा ||

श्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी भगवतीं नमः

निष्कर्ष

रक्षाबंधन पर भद्रा काल का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है, लेकिन इस वर्ष पाताल लोक में भद्रा रहने के कारण इसका प्रभाव सामान्य से कम होगा। महत्वपूर्ण है कि राखी बांधने के लिए दिए गए शुभ मुहूर्त का पालन करें और धार्मिक विधियों का सही ढंग से पालन करें। इस तरह आप अपने भाई के साथ इस पर्व को पूर्ण श्रद्धा और खुशी के साथ मना सकेंगे।

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