समीक्षक - चन्दन प्रेमी पूर्व प्रधानाध्यापक
लेखक--श्री दिनेश ध्यानी
नयी दिल्ली : उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली का संयोजक श्री दिनेश ध्यानी साहित्यकार का दगड़ा-दगड़ि गढवाळी -कुमाउनी भाषाओं परैं काम बि करणा छन। दिल्ली एनसीआर म बच्चों तैं गढवाळी-कुमाउनी भाषा शिक्षण कक्षाओं को संचालन हो या गढवाळी -कुमाउनी भाषाओं तैं संविधानै आठवीं अनुसूची म शामिल कना बात हो श्री दिनेश ध्यानी सौब से अगनै रंदन। श्री दिनेश ध्यानी जी कि लिखी किताब मि थै कुछ दिन पैलि यों भैजि ल सप्रेम भेंट करी छन , मिल पढ़ि भै जी कि किताब की एक एक 15 कहानी बड़ी अच्छी लगी मी। यां पैलि कि मि कुछ लिखो ता मिल सोचि कि विद्या की देवी मां सरस्वती की वन्दना द्वी पंक्तियों मा लिखों ता ठिक होलो....
सरस्वती मयादृष्टा वीणा पुस्तक धारणी।हंशवाहनसंयुक्ता विद्या दानं करोतु में ।।
श्रीमान दिनेश ध्यानी जी कि किताब इस्कूल गढ़वाली बाल कहानी संग्रै जड़ से जुड़ी एक यन पोथि छन जो हमतै अपड परिवेश का आश -पास ही रिटाणीं छन आदिम किताब पढ़ंद पढंद अपड़ी मातृभूमि का ऊं बांटा घाटों मैं रिटदा रै जाणूं छन जौ बांटों हिटि कै ऊं आज न जाणै कै देश -परदेश खाणों कमाणों ज्वान ह्वे, फिर अपड़ी वीं दुनिया मा ऐ जाणू छन जख भिटिन उ लेखि - पढीं ज्वाइन ह्वै । या लेखक की कलम की वा ताकत छन ज्वा रिबड़ी बिरासत थै फिर से वै तरफ फरकै कै ल्याणी छन। मी साधुवाद दींदो भै जी की लेखनी तैं कि हमेशा-हमेशा चलदी रंया जी यों जलड़ो से जुड़णों अर ज्वड़णौ जतन करदी रंया जी। मि चन्दन प्रेमी भगवान जी से प्रार्थना करदो कि लेखक श्री दिनेश ध्यानी जी कि लेखनी से नयो नयो विचार गढ़- कुंमो को भाषा विस्तार मा अपड़ों भलों योगदान दीं दि रंया ।
पैलि कहानी हमुतै लड़का-लड़की द्वियों तैं स्कूल भेजण मा बाधक नि बणण चैंद । सरु एक लड़की पढण चाणी छन ,पर पुरण ख्यालात की दादी बाधक बणि ठिक नी ? वा अपड़ ममकोट हैं का गौ ऐ कै स्कूल जांण बैठि त वा अपड़ गौ कि नौन्यों बार मा भी सैचण लगी कि हमर गौ मां भी स्कूल होंद ता मेरि दगड्या बसंती शांति ऊभि ता स्कूल जांदि .। बालक बालिका समान अधिकार की बात करद ऊं की या कहानी।
दुसरी कहानी एक मां बेटी अर दादी की यन कहानी छन कि घुंघरु न छमके अर सास न घमके तो एक यानि सासु छन दादी । बेटी गीता द्वियों का बीच मा एक कड़ी को काम करद अर ब्वे कि सीख याद रखी पढि लिखी बड़ों आदिम बणण का रस्ता अपड़्यांद अच्छी सीख छन ।
तिसरी कहानी निसुड़-नाड़ु
रहिमन देख बड़ेन को ,लघु न दीजिए ड़ारि।जहां काम आवै सुई कहा करें तलवार।
अपड़ अपड़ जगह मा सभ्यों को बड़ो महत्व छन ।
हैकि कहानि
कोरोना बिमरि एक यानि कहानि छन जो सभ्यों तैं नियम संयम , पत-परेज पर रखण से बड़ी बड़ी हानी होण से बंचै दिन । द्वी साल का बाद स्कूल खुली ता मास्टर जी और बच्चों की बात चीत मा कुछ ख्वै गे छौ और कुछ शिकणाखुणि भि मिली ,धीरज सब से बड़ों साथि होंद कै भि बिपति काल मा ,क्या ख्वै क्या पै यों द्वी सालों मा एक बारता ह्वै मास्टर जी अर बच्चों मा।
पांचवी कहानि दादि
माधुली तैं एक पुरणि फोटो मिली जै मा वी कि दादि अर वा द्वियो की फोटो छै । या कहानी यखि भिटि सुरु होन्द । माया का रिश्ता बदलता परिवेश नै पुरानी रिश्तों की याद छन ।
अगली कहानी
कंजूस सेठ लोगों का गैणा -पाता गिरबि धैरि दिन अपड़ बेटी ब्वार्यो तैं छक्वै खाणा नि दिन ,जै से कि ओ रोगी ह्वै जंदिन बड़ी दर्दनाक कहानी छन, स्वयं सेठ को भी नाश ह्वै जांद कंजूसी ठीक नी । अब आणा बल भला विचार जब सब ह्वै गे गिजार यो कंजूस सेठ को पछतावा छौ ।
हैकि कहानी जमीन जैजात एक पीठ को भाई जब हैंक भै को हक बांठु चाल - बाजी से हड़िपि दींद ता जन्मभर वैकि आत्मा वै थै संत नि रखंदी ,प्राण भि नि जांद वे अक्वै कि। जब कि रामायण मा पीठि भै का बारे मा इनी बात पढ़णों गुण मिलदी ---
सुत वित नारि भवन परि वारा । होय जाय जग बारम्बारा ।
अस विचारि जियं जागहु ताता। मिलत न जगत सहोदर भ्राता ।।
यनो विचार की शिक्षा दी दींद कहानि
अगली कहानी जगळों आग पर्यावरण संरक्षण का प्रति संवेदनशील अर आग लगण मा हमर फर्ज आग बुझोणू । सारिका-बबली की कोशिश से जंगल मा लगीं आग बुझि गै अधपको स्याळ खरगोश किड़किड़ी घुघती देखि कै लोगों को मन दु:खी ह्वे । ऊ की समझ मा ऐ जंगल का जीभ जड़ी बूटियों नाश आग का लगण से अपड़ो ही नुकसान छन ।
नलखा पाणि एक परिवेश से हैक परिवेश मा पैलि पैलि जांण पर जब तक क्वी हैको आदिम जानकारी नि दिन तब तक रिबड़्यो सि रै जांद आदिम । अनीता वीं कि दादि दिल्ली ऐ कै अनीता रकर्यासि गै बाद मां अच्छाई बींगि कै गौ मा भी स्वच्छता को महत्व तनी होण चैंद जनों दिली मा छन । ता लोग आणा -जाणा राला ।
दगड्या सुधा- गायत्री की दोस्ती कि यन कहानी छन कि एक दुसर को दु:ख देखि अपड दु:ख ंकम समझण लागी ,जनु कि - दुनिया में कितना गम है।
मेरा ग़म कितना कम है।
यन संतोष जताणी कहानी ।
अगली कहानी भूख एक स्कूल जाण वळा द्वी दगड्या जब छुटी मा घौर आंद दौ मुगफली आपस मा बटंदिन ता एक छिलकै समेत बुखै जांद । भूख क्या जाणें बासी भात - नींद क्य जाणें टूटी खाट।
भूखों मनखी खाणु तैं अधा खै दिंद अर अधा लुकै दींद या छन भूख की अग्नि जै का पेट मा भूख लगली वै थै पता भूख क्या ह्वै भली कहानी छन ।
हैक कहानी छन ज्यान च ता जहान च गीता पिताजी की बड़ी भारी दुकान छौ जैमा कि ये साल कि मर्चु की फसल बेचिकै खूब समान रामनगर भिटिन भोरि दे छौ । दिवली दिन दुकनि मा रात आग लगि जांद लालाजी दुखनी भितर हि सियां छाया , कै तरह से खिड़की तोड़ी भैर ऐगिन ओ बचाव करण वळा लोगोल होश मा ले ऊं तै था वीं कि माजिद ला रूदा रूदा बोलि ज्वड्ण्या चीज ज्वड़े जैली पर ज्यान च छ जहान च।
सग्वडि-पत्वडि एक यनी कथा छन भौत दिन बाद सुदामा अपड़ गौ आंद। अर बंजर प्वड़ी जमीन देखी दंग रै जांद। धार पोर ढ़ंगळगांव की खेती भी अब वनी नी जन वैल पैलि देखि छौ बर्बाद घर जमीन सग्वडि-पत्वडि की कहानी दु:खदाई बणी रैगिंग अब सुंगर बादर रिटणा छन गौ कि सग्वडि-पत्वडियों मा हम तैं अपड़ खेती इन नि छ्वडण चैंद।
बंट्वरू, चार भै तीन बैण्यों को हक बांटा पर आधारित छन जो भै जन्म भर ब्वै बाब से दूर रैन अर क्वी सुख नि दिनी ऊं बुबा जी म्वरण मा धन दौलत खेति पाती हिस्सा मंगणै लडणों खुणी तैयार छन,बाबु पैली वसीयत लेखि कै रखिए गै छौ झगड़ा ख़त्म यन कहीनी छन- जैसे को तैसा ।
अन्त मा एक यनि कहानी जैम एक लड़की सुरमा कोरोना काल मा अनाथ ह्वै जांद जैबत वा कक्षा - 7(सात) मा पढ़ंदी छै । अब वा अपड़ ब्वाडा -बोडि दगड़ रैंद, स्कूल पढ़ण चाहणी छै पर ना ? मसीन की शिक्षा वींतै इस्कूल मा मिली गे छौ पैली । अब वा घार म खेति -पाती गोर, बखरा तक सीमित ह्वै गे छै । एक दिन उनका गौ मां सरकारी लोग गौ की विकास कि बात का बारे मा बात करि अर सुरमा की मसीन सिखणो का फार्म भरी,बोडि बोड़ा पूछि कै वी तैं मसीन अर थैला सिलण को काम सहयोग बतै गैन । वींल 400 थैला बंणैं कै अपड़ हुनर दिखै और तिवाड़ी जी सरकारी लोगोंला वी तैं वीं का गौ मा कलेक्टर साहब का हाथ से ईनाम अर एक मसीन कलक्टर साहब का तरफ भिटिन मिली । सुरमा अब अपड़ खुटों पर खड़ी ह्वै गे ।
कहानी रोचक छन, जलड़ो से जुड़ी बता छन कहानियों मा ।अपड़ जन्मभूमि की माटु कि खुशबू आणी छन । परवासीयों तैं याद दिलौंदी कहानी छन ये । हमतै पिछने फरकी दिखण प्वाड़लो !
कुल मिलैकि श्री दिनेश ध्यानी जी कु यु बाल कहानी संग्रह भौत बढ़िया छ। हर कहानी कुछ न कुछ सीख देणी। बढ़िया कहानी संग्रह का खातिर साधुवाद श्रीमान दिनेश ध्यानी जी तैं साहित्य अमर रैंद । लिखदा रावा भै जी आप ।
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