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देवभूमि स्तुतिगान "जय उत्तराखंड मातृभूमि बद्री केदार, जय जागेश्वर जय बागेश्वर तेरी जय जयकार" का नोएडा में हुआ भव्य लोकार्पण


देवभूमि स्तुतिगान "जय उत्तराखंड मातृभूमि बद्री केदार, जय जागेश्वर जय बागेश्वर तेरी जय जयकार" का नोएडा में हुआ भव्य लोकार्पण


नोएडा: रविवार 29 जून को नोएडा के सेक्टर-6 स्थित एनईए ऑडिटोरियम में शाम 4 बजे से उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को समर्पित एक अनुपम सांस्कृतिक आयोजन के तहत “देवभूमि स्तुतिगान” का भव्य लोकार्पण किया गया साथ ही महाकौथिग की स्मारिका (वार्षिक पुस्तक) का भी विमोचन किया गया।

लोकार्पण समारोह का नोएडा सांसद महेश शर्मा,पीएन शर्मा, उपेंद्र पोखरियाल, आरबी घिल्डियाल, अनिल शुक्ल, विनोद कपटियाल, डॉ. सतीश कालेश्वरी, दलजीत सिंह रावत, जय किशन गौड़, विपिन मल्हन, आदित्य घिल्डियाल, कल्पना चौहान आदि ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।  तत्पश्चात गायिका हेमा भैंसोड़ा ने गणेश वंदना से कार्यक्रम का श्रीगणेश किया। 

इस शुभ अवसर पर उत्तराखंड समाज के सैकड़ों लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिन्होंने लोकगीत की मधुर ध्वनियों के माध्यम से अपनी संस्कृति से भावनात्मक जुड़ाव को महसूस किया।



उत्तराखंड के प्रसिद्ध संगीत निर्देशक राजेन्द्र चौहान द्वारा निर्मित और निर्देशित इस स्तुतिगान ने देवभूमि की धार्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक गरिमा को संगीत के माध्यम से जीवंत कर दिया। गीत को स्वरबद्ध किया है लोकप्रिय लोकगायक रोहित चौहान और स्वरकोकिला कल्पना चौहान ने, जिनकी सुमधुर आवाज़ों ने समारोह को आध्यात्मिक वातावरण से भर दिया।

देवभूमि स्तुतिगान, जो न केवल एक गीत है, बल्कि देवभूमि उत्तराखंड की लोक संस्कृति एवं आध्यात्मिक आत्मा का एक संगीतबद्ध चित्रण है।

उत्तराखंड की स्तुति और गान का संयोजन है गीत 

देवभूमि स्तुति गान, जैसा कि नाम से पता चलता है, देवभूमि यानी देवों की भूमि (उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है), “स्तुति” (प्रशंसा) और “गान” (गीत) का संयोजन है। यह एक ऐसा गीत है जो देवभूमि उत्तराखंड की प्रशंसा, सम्मान या आराधना करने के लिए गाया गया है।

इस गीत के बोल अत्यंत मधुर, कर्णप्रिय और श्रद्धा से परिपूर्ण हैं, जो श्रोताओं के हृदय में सीधे उतरते हैं। गीत में उत्तराखंड की भूमि को “देवभूमि” के रूप में नमन करते हुए विभिन्न प्रसिद्ध तीर्थस्थलों और देवी-देवताओं की जय-जयकार की गई है, जो इसकी सांस्कृतिक गहराई को और भी सशक्त बनाती है।

वीडियो फिल्मांकन की बात करें तो यह किसी दृश्यात्मक तीर्थयात्रा से कम नहीं। उत्तराखंड की सुरम्य वादियाँ, बर्फ से ढके हुए पर्वत, रंग-बिरंगे फूलों की घाटियाँ और पौराणिक मंदिर – सब मिलकर इस गीत को एक दिव्य अनुभूति प्रदान करते हैं। कैमरे की दृष्टि अत्यंत संवेदनशील और सुंदर है, जो प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों की भव्यता को दर्शकों के सामने जीवंत कर देती है।

गीत का संगीत संयोजन भी उल्लेखनीय है। गायन में भावनात्मक गहराई है, जो उत्तराखंड की संस्कृति और श्रद्धा को प्रभावशाली रूप से प्रकट करता है। इस गीत को YouTube channel Rohit Chauhan official पर जाकर सुना जा सकता है।

निष्कर्ष “देवभूमि स्तुतिगान” न केवल एक सुंदर गीत है, बल्कि यह उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, भक्ति और प्राकृतिक सौंदर्य का एक शानदार संगम है। इसे सुनना और देखना दोनों ही एक आध्यात्मिक अनुभव है। यह गीत उत्तराखंडवासियों के लिए गर्व का विषय है और देश-विदेश में रहने वाले हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा।

श्रोताओं ने स्तुतिगान को बताया सांस्कृतिक विरासत 

कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों और श्रोताओं ने देवभूमि स्तुतिगान को न केवल एक गीत, बल्कि उत्तराखंड की आत्मा को अभिव्यक्त करने वाला एक सांस्कृतिक दस्तावेज़ बताया। यह स्तुति नयी पीढ़ी को अपनी जड़ों, परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का एक प्रभावशाली माध्यम बन सकती है।


लोकार्पण के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भगवत मनराल की टीम ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत प्रस्तुतियां पेश कर दर्शकों को अभिभूत कर दिया. कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनसमूह ने कलाकारों और आयोजकों का करतल ध्वनि से स्वागत करते हुए राजेंद्र चौहान के इस प्रयास की प्रशंशा की।


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