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उत्तराखण्ड के रंगकर्मी व समाजसेवी स्वर्गीय दयालधर तिवारी को उनकी जयंती पर किया गया याद

उत्तराखण्ड के रंगकर्मी व समाजसेवी स्वर्गीय दयालधर तिवारी


नई दिल्ली: रविवार 28 अप्रैल 2024 को दिल्ली के पंचकुइया रोड स्थित गढ़वाल भवन में उत्तराखण्ड के बरिष्ठ रंगकर्मी, समाजसेवी स्वर्गीय दयालधर तिवारी को एक कार्यक्रम के माध्यम से याद किया गया।  उनकी सुपुत्री व सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती मनोरमा तिवारी भट्ट की पहल पर साहित्य, गीत-संगीत एवं नृत्य नाटिका के माध्यम से स्वर्गीय दयालधर तिवारी को याद किया गया। 

स्वर्गीय दयालधर तिवारी जी का जन्म 1944 को दुयुरी मल्ली पटी चंबा जिला टिहरी गढ़वाल में हुआ । उनके पिता का नाम गोपेश्वर दत्त तिवारी तथा माता का नाम तरुण देवी था । तिवारी जी की पढ़ाई मैट्रिक तक की हो पाई थी घर की परेशानियों के चलते हुए छोटी सी उम्र में ही जीविका के लिए दिल्ली जैसे महानगर में आ गए। तिवारी जी बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति थे वह हमेशा ही समाज हित में सोचते थे उन्होंने अपनी नौकरी के साथ-साथ अपने यहां के नवयुवकों को भी नौकरी पर लगवाया । तिवारी जी बचपन से ही अभिनय के शौकीन रहे थे, उन्होंने अपने गांव में समय-समय पर रामलीलाओं में अभिनय किया व बाद में स्वयं भी समय-समय पर रामलीला मंचन का आयोजन किया। तिवारी जी ने हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद की जैसे कि गरीब कन्याओं के विवाह में आर्थिक व अन्य  सहयोग करना, गरीब  बच्चों की पढ़ाई में मदद करना तथा विशेषकर  सीनियर सिटीजनस के लिए एक  संगठन का गठन करना।  जिससे जीवन के चौथे पहर में चल रहे समाज के बरिष्ठ नागरिकों को साथ में सुख -दुःख बांटने का मौका मिलता रहे।   तिवारी जी सन 2004 में जब सेवा  निवृत्त हुए तो उन्होंने घर में बैठने की बजाय अपना ध्यान अपनी रुचियों की तरफ लगाया। अभिनय के शौकीन तिवारी जी ने उत्तराखंडी फिल्मों व वीडियो गीतों से अपने भीतर छिपे कलाकार को एक नई दिशा प्रदान की। उनकी सबसे परिचित वीडियो नौछमी नारायण थी जिसमें गढ़ नरेश नरेंद्र सिंह नेगी जी ने गीत गाए थे। इस वीडियो में तिवारी जी ने एन डी तिवारी का अभिनय किया था, यह गीत इतना लोकप्रिय और चर्चा में रहा कि उनको जेल तक जाने की नौबत आ गई थी । उसके बाद उन्होंने दो-चार फिल्मों में  भी अभिनय  किया । तिवारी जी की सेहत खराब होने लगी इसलिए वह अपने इलाज के चलते मन में यह सोच रखते हुए कि मैं कभी ठीक होऊंगा तो दोबारा फिल्मों का रुख करूंगा, लेकिन तिवारी जी अनंत यात्रा पर निकल गए।  

इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यकार व गायक श्री जगदीश ढौंडियाल, सुप्रसिद्ध लोक गायिका मीना राणा, पद्म गुसाईं समेत कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।  इस आयोजन में जानेमाने कवि जयपाल सिंह रावत छिपवडु दा, दिनेश ध्यानी व युवा कवियत्री अंजलि भंडारी ने गढ़वाली कविताओं से आयोजन में चार चाँद लगा दिये। इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के ग्रुप देवभूमि द्वारा भी विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों की प्रस्तुति दी गयी जिसे लोगों ने खूब सराहा।  कुछ बाल कलाकारों ने जिन्होंने उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली की ग्रीष्मकालीन कक्षाओं में गढ़वाली सीखी उन बच्चों ने  भी गढ़वाली भाषा में गीत, कविता आदि सुनाकर सबको आनंदित कर दिया। कुल मिलाकर अद्भुत आयोजन एवं समाज की भागीदारी ऐसी की पूरा हाल भरा हुआ था।  

स्वर्गीय दयालधर तिवारी जी की 80वीं जयंती पर गढ़वाल भवन में  आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के प्रबुद्ध लोगों, समाज सेवियों, रंगकर्मियों, साहित्यकारों आदि ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। छोटे बच्चो ने भी अपनी प्रस्तुति नृत्य वा गायन के माध्यम से दी, जिनमे उनके मित्र व बरिष्ठ समाजसेवी लखीराम डबराल, यू एस नेगी, हरिपाल रावत, दिनेश चमोली, महावीर राणा, पी एन शर्मा, अनिल पंत, मुरारी लाल खंडूरी, प्रताप थलवाल आदि लोग मौजूद रहे ।

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