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"मानव बन जाए जग सारा, यह पावन संकल्प हमारा" मंत्र के साथ संपन्न हुआ हिन्दी साहित्य भारती का तीन दिवसीय वैचारिक मंथन

हिन्दी साहित्य भारती का तीन दिवसीय वैचारिक मंथन

नई दिल्ली : मानव बन जाए जग सारा, यह पावन संकल्प हमारा की व्यापक व कल्याणप्रद सोच को अपना मूल ध्येय बनाकर  वर्ष  2020 में  राष्ट्रीय  व अंतरराष्ट्रीय स्तर के विविध  मनीषियों  के परस्पर गहन मंथन के उपरान्त  गठित अंतरराष्ट्रीय  संस्था  हिन्दी  साहित्य  भारती का तीन दिवसीय वार्षिक  वैचारिक  मंथन सत्र  दिल्ली विश्वविद्यालय  के अधीन सुविख्यात  हंसराज  कालेज के प्रेक्षागार  में अभूतपूर्व  सफलतापूर्वक संपन्न  हुआ।  8 मार्च से शुरू इस वैश्विक आयोजन में देश-विदेश के सुविख्यात  साहित्यकारों, हिन्दी भाषा के मूर्धन्य  विद्वानों, संस्कृति  प्रेमियों, पत्रकारों , सामाजिक  कार्यकर्ताओं व  शिक्षाविदों ने अपनी सक्रिय  सहभागिता दर्ज  करवाई।  भारतीय गौरवशाली संस्कृति, जीवन दर्शन और  उदात्त मानवीय मूल्यों तथा भाषायी वैशिष्ट्य और  विविधतापूर्ण  साहित्य  के मानवोचित  संदेश को समूचे  वैश्विक  पटल पर  प्रतिस्थापित कर  सत्यं शिवं  सुन्दरम्  की भावना के साथ सौहार्दपूर्ण व शांतिपूर्ण सहअस्तित्व  के मंत्र  को संचारित किए जाने की मंशा से सुस्थापित  हिन्दी साहित्य  भारती के सम्पन्न  आयोजन के अंत में देश-विदेश  के उपस्थित  प्रबुद्ध  प्रतिनिधियों  ने एकमत से इस बात को रेखांकित  किया कि मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय  माहौल में अन्ततः भारतीय  शाश्वत  संस्कृति , जीवन दर्शन और  वसुधैव  कुटुंबकम  की संकल्पना  के माध्यम  से ही मनुष्यता  व  सभ्यता को संरक्षित  कर विश्व को शान्ति-सौहार्द और भाईचारे का संदेश दिया जा सकता है।

हंसराज कॉलेज के सभागार में हिंदी साहित्य भारती के तत्वधान में आयोजित तीन दिवसीय उपवेशन कार्यक्रम के दूसरे दिन भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा राज्यसभा सदस्य श्री सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि शून्य गणित में एक अंक मात्र है जबकि वही शून्य साहित्य में अनुभूति का विषय है। 

आज हिंदी साहित्य भारती के उपवेशन कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ लता चौहान तथा डॉक्टर सुनीता मंडल एवं अन्य सहयोगियों द्वारा सरस्वती वंदना, ध्येय गीत एवं संकल्प गीत तथा अतिथियों के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया गया।

विदित है कि हिंदी साहित्य भारती द्वारा हंसराज कॉलेज दिल्ली के सभागार में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय उपवेशन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। आयोजन के दूसरे दिन आज 9 मार्च को प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि की हैसियत से बोलते हुए राज्यसभा सांसद श्री सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हिंदी भाषा हो अथवा कोई अन्य भाषा, भाषा मन के भावों को प्रकट करती है। हिंदी भाषा का यह वैशिष्ट है कि वह मन के भावों को प्रकट करने में अन्य भाषाओं की तुलना में अधिक सक्षम है। श्री सुधांशु जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के लिए प्रेम एक आदर्श है हमारे यहां प्रेम में ब्रेकअप नहीं होता बल्कि सांसें ब्रेक लेती हैं। आपने कहा कि दुनिया के लिए शून्य एक अंक है किंतु भारतीय संस्कृति में शून्य का अस्तित्व अनुभूति स्वरूप है।

सत्र को संबोधित करते हुए हिंदी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश डॉक्टर रविंद्र शुक्ला ने कहा कि सनातन ही शाश्वत है। अन्य सभी पंथ संप्रदाय या धर्म किसी एक व्यक्ति या वर्ग के लिए हो सकते हैं लेकिन सनातन धर्म संपूर्ण विश्व और ब्रह्मांड के लिए है।

इस अवसर पर जाहन्वी के संपादक श्री भारत-भूषण चड्ढा, साधना टीवी के संचालक श्री राकेश गुप्ता तथा उज़्बेकिस्तान से पधारी डॉ नीलोफर जी को संस्कृति साधक सम्मान प्रदान किया गया।

आयोजन के दूसरे सत्र में आचार्य देवेंद्र देव, अरुण सज्जन तथा राकेश कुमार जी, मंजू पाण्डेय, ठाकुर सिंह पोडियाल, शिवशंकर सोनी,पद्मश्री विष्णु पांड्या, प्रतिभा त्रिपाठी की पुस्तकों का विमोचन मंचासीन अतिथियों के करकमलों से किया गया।

कार्यक्रम के तीसरे सत्र में विराट कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें सर्वश्री डॉ रवींद्र शुक्ल, आचार्य देवेंद्र देव, कुलदीप अंगार, डॉ देवेंद्र तोमर मुरैना मध्य प्रदेश, प्रतिभा त्रिपाठी, डॉ सुनीता मंडल सहित अनेक रचनाकारों ने प्रभावशाली काव्य पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर विनय कुमार सिंह जी ने किया

मंच पर प्रमुख रूप से श्री बैद्यनाथ लाभ , पदम श्री विष्णु पांड्या, श्री विनोद कुमार मिश्र, आचार्य देवेंद्र देव, मौजूद रहे। इस अवसर पर सभागार में हिंदी साहित्य भारती के केंद्रीय सह संगठन मंत्री डॉ देवेंद्र तोमर, ऋचा शुक्ला,लेखक आनंद उपाध्याय, निशांत शुक्ला, संजय राष्ट्रवादी तथा नीरज सिंह सहित विदेश एवं देश के प्रत्येक प्रांत से पधारे हुए अतिथि साहित्यकार पत्रकार बुद्धिजीवी तथा गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

हिन्दी साहित्य के तीन दिवसीय उपवेशन के एक सत्र को संबोधित करते हुए श्री सुबोध उनियाल मंत्री उत्तराखंड सरकार ने कहा कि ऐसा कोई सपना नहीं है जिसे देखा जाए और साकार न किया जा सके। हर सपना साकार करने के लिए दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ उसे साकार करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसी क्रम में डॉ करुणा शंकर उपाध्याय ने कहा कि हिन्दी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। विदित है कि नयी दिल्ली के हंसराज कॉलेज में हिन्दी साहित्य भारती का तीन दिवसीय उपवेशन कार्यक्रम चल रहा है। इस आयोजन के तीसरे दिन प्रथम सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में हिन्दी का वैश्विक परिवेश विषय पर सभागार को संबोधित करते हुए डॉ करुणा शंकर उपाध्याय ने कहा कि विश्व में सर्वाधिक प्रकाशन हिन्दी किताबों का हुआ है। विश्व में सर्वाधिक हिन्दी पत्रिकाएं प्रकाशित होती है। डॉ उपाध्याय ने कहा कि संभावना यह भी है कि आगे आने वाले दस वर्षों में इंग्लैंड अमेरिका के प्रधानमंत्री तथा राष्ट्र प्रमुख हिन्दी बोलने वाले होंगे।

इस सत्र को सर्वश्री माधवेन्द्र प्रसाद पाण्डेय,डॉ अरुण कुमार सज्जन,ने भी संबोधित किया।

वित्तीय प्रबंधन विषय को लेकर संपन्न हुए सत्र को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक डॉ विकास दवे ने कहा कि वित्त का प्रबंध करना बहुत आसान है जबकि बित्त का सदुपयोग करना बहुत कठिन है। डॉ दवे अनेक उदाहरण देते हुए बताया कि बित्त का सदुपयोग पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम को हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ रमा शर्मा, श्री मयूर अग्रवाल, सहित अनेक विद्वान वक्ताओं ने संबोधित किया।

कार्यक्रम के एक विशेष सत्र में सभी मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया गया साथ ही उपवेशन कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।

कार्यक्रम में एक सत्र जिज्ञासा समाधान का भी रखा गया जिसमें अपने अनुभव के आधार पर सभी ने अपने विचार व्यक्त किये।

इस सत्र में हिंदी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रवींद्र शुक्ल ने उपयोगी एवं अनुकरणीय मार्गदर्शन दिया।

हिंदी साहित्य भारती की तीन दिवसीय उपवेशन कार्यक्रम में  सुदर्शन टीवी के संस्थापक श्री सुरेश चव्हाण को संस्कृति साधक सम्मान 2023-24 , प्रोफेसर कमलप्रभा कपानी उड़ीसा को हिन्दी साधक सम्मान 2023-24, डॉ के साईं लता चेन्नई तमिलनाडु हिंदी साधक सम्मान 2023-24,जय वर्मा इंग्लैंड को संस्कृति साधक सम्मान 2023-24,से विभूषित किया गया। सुदर्शन टीवी के संस्थापक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह कि विश्व गुरू के आसन पर कौन सा राष्ट्र आसीन होगा?यह इस डिजिटल युग में इस बात पर निर्भर करेगा कि किस राष्ट्र की ट्रेडिंग अधिक है,किस विचार की ट्रेंडिंग अधिक है। यह तब संभव है जब हम जागरुक रहकर अपनी संस्कृति और अपनी राष्ट्रीयता के लिए सकारात्मक भाव से सोचेंगे और समाज को उचित अनुचित का बोध कराएंगे। 

इस अवसर पर केन्द्रीय मार्गदर्शक महामण्डलेश्वर शाश्वतानंद गिरि जी महाराज, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के निदेशक सुनील कुलकर्णी, साध्वी ममता जी कार्यक्रम संयोजक डॉ रमा, केन्द्रीय अध्यक्ष डॉ रवींद्र शुक्ल, सहित देश विदेश से पधारे हुए अतिथि, विद्वान वक्ता, विश्व विद्यालयों के विभागाध्यक्ष, साहित्यकार, बुद्धिजीवी,पत्रकार तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

इस अवसर पर स्वागत उत्पादन डॉक्टर रमन शर्मा तथा आभार प्रदर्शन श्री राजीव शर्मा जी द्वारा किया गया।

हि. सा. भा. (विदेश कार्यकारिणी) के महामंत्री प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी ने बताया कि यह जानकारी हिन्दी साहित्य भारती के जन संचार प्रकोष्ठ के संयोजक आनन्द उपाध्याय ने एक प्रेस  विज्ञप्ति के माध्यम से दी है।

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